हर वर्ष की तरह इस साल भी दिल्ली में बारिश की फुर्ती, उसका संगीत, और उसकी भावनाएँ पुनः उभरकर सामने आएंगी — लेकिन इस बार कुछ अलग अंदाज़ में।
“Badariya: A Monsoon Farewell Festival” न सिर्फ एक मीडिया हेडलाइन है, बल्कि यह आत्मा से उठने वाला एक सांस्कृतिक आह्वान है — एक विदाई जो गीतों, नृत्यों और पारंपरिक लोक कला के माध्यम से मनाया जाएगा।
तारीख और स्थान
दिल्ली इस वर्ष 1 सितंबर 2025 को ‘Badariya: A Monsoon Farewell Festival’ का आयोजन करेगी। यह आयोजन सेंट्रल पार्क, कनॉट प्लेस (Gate No. 6) में शाम 4 बजे से शुरू होगा। यह समय और स्थान स्वयं दिल्ली की शहरी आत्मा और लोक संस्कृति के संगम का प्रतीक बनकर आएगा।
आयोजन और प्रेरणा
यह उत्सव Mata Chakeri Devi Foundation, Maithili-Bhojpuri Academy (दिल्ली सरकार) और अन्य कई सहयोगियों के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। Bharat Express के CMD एवं Editor-in-Chief Upendra Rai इस महोत्सव के Patron (Trustee) हैं।
‘Badariya’ नाम ही मानसून की विदाई का भाव समेटे हुए है—वर्षा की विदाई, पत्तरों पर तितलियों की ताजगी, और गीतों में बसी विरासत। यह फेस्टिवल हमें प्रकृति की सौम्यता और लोक कला की आत्मीयता से जोड़ता है।
मुख्य अतिथि और सम्मानित
मुख्य अतिथि के रूप में इस महोत्सव में शामिल होंगी दिल्ली की मुख्यमंत्री, रेखा गुप्ता, जबकि सांस्कृतिक कार्य मंत्री कपिल मिश्रा को Guest of Honour के रूप में सम्मानित किया जा रहा है। उनकी मौजूदगी से इस आयोजन को राजनीतिक — और साथ ही सांस्कृतिक — दायरे में एक नई ऊँचाई मिलेगी।
कलाकारों की झांकी
इस उत्सव में विभिन्न कला रूपों का आकर्षक मिश्रण प्रस्तुत किया जाएगा। प्रस्तुत हैं कुछ प्रमुख कलाकार:
Padma Shri Malini Awasthi — थुमरी, कजरी और लोक गायन की पारंपरिक शैलियों में मधुर प्रस्तुतियां।
Kunj Bihari Mishra — बिहार की मैथिली लोक परंपराओं का संगीत।
Samriddhi Pathak और Sanvi Pathak — मैथिली लोक गीतों की मधुर स्वर प्रस्तुतियाँ।
Rimpa Shiv (tabla), Vaishnavi Joshi (flute), Megha Raut (sitar) — वाद्य संगीत की शास्त्रीय झलक।
Nayanika Ghosh & Team — कथक-रस फ्यूजन नृत्य, जिसमें लोक और शास्त्रीय नृत्य की गठित छवि होगी।
Anshu Art / Pushpanjali Group — मैथिली एवं भोजपुरी लोक नृत्य, जो बिहार और उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत बनाए रखेंगे।
यह कलाकारों का संगम, लोक और क्लासिकल शैलियों का अद्भुत मिश्रण, और भावनात्मक गहराई — सब इसे एक असाधारण अनुभव बनाएंगे।
समर्थन और संगठन
इस आयोजन में कई संगठनों का सहयोग है — Bharat Express, Maati E Public Trust, Yuva Shakti Samवाद, तथा SRKR शामिल हैं। आयोजन समिति की देख-रेख Yogita Singh (Foundation President & MCD Central Zone Chairperson) कर रही हैं, साथ ही Pramod Kumar (Secretary), Brijesh Rai (Founder), Santosh Kumar Ojha (Trustee), और Apoorva Singh (Trustee) भी इसमें सक्रिय हैं।
उद्देश्य व सांस्कृतिक दृष्टिकोण
‘Badariya’ केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक भावपूर्ण संवाद है:
शहरी और ग्रामीण विरासत का संगम: यह उत्सव शहरी दर्शकों को ग्रामीण जीवन, लोक-कलाएं तथा रीति-रिवाजों से परिचित कराता है।
धरोहर का संरक्षण और संवर्द्धन: लोक-संगीत, नृत्य और संगीत के माध्यम से सांस्कृतिक परंपराओं को जीवंत तथा आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाया जाता है।
संस्कार और सौहार्द: विविधता में एकता—लोक नृत्य, लोक गीत और संगीत, जो भावनाओं और अनुभवों की साझा धरोहर हैं।
समुदाय और संवाद:
यह आयोजन परिवारों, कलाकारों और सांस्कृतिक उत्साही लोगों को एक मंच पर लाकर सांस्कृतिक संवाद का माध्यम बनता है।
उपेंद्र राय द्वारा इस संस्था की संरक्षकता और मीडिया की भूमिका इस आयोजन को दर्शाती है कि कैसे लोक संस्कृति और आधुनिकता का मेल संभव है और उसे संरक्षण का मार्ग कैसे प्रशस्त होता है।
कहानी और भावनात्मक अंतर्दृष्टि
जब दिल्ली में मानसून अपने अंतिम बूंदों को बांग देने लगता है, उस वक्त ‘Badariya’ का उद्घाटन एक नई कविता की तरह होता है—मिट्टी की खुशबू, कांपते पत्तों का संगीत, लोक गीतों की मधुरता, और तारों में गूंथी आत्मीयता। रेखा गुप्ता जैसे चेहरे सबको यह संदेश देते हैं कि संस्कृति केवल अतीत नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य का भी निर्माण है।
जब Malini Awasthi अपनी थुमरी गाएंगी, तो बूँदों की स्मृति जी उठेगी; जब कथक-रस का फ्यूजन प्रस्तुति मंच पर बिखेरेगा, वही कुशलता लोक और शास्त्रीय के बीच सेतु बनेगी। दृश्य होगा जैसे दिल्ली की भीड़-भाड़ से निकलकर हम एक लोक-रस्म में शामिल हो रहे हों — जहाँ हर ताल, हर गीत, हर नृत्य रिमझिम बारिश को सम्मान दे रहा हो।
यह आयोजन दिल्लीवासियों को न सिर्फ मनोरंजन प्रदान करेगा, बल्कि उनसे भावना, स्मृति, संवेदना और पहचान का रिश्ता भी जोड़ेगा।
निष्कर्ष
‘Badariya: A Monsoon Farewell Festival’ दिल्ली को एक अद्वितीय सांस्कृतिक मुखौला प्रदान करता है—a monsoon farewell that is not bittersweet, but celebratory. यह आयोजन न केवल मानसून के विदा भाव को संगीत, नृत्य और लोक कला के माध्यम से व्यक्त करता है, बल्कि एक पुल बनाता है शहर और गाँव, आधुनिकता और परंपरा, कलाकार और दर्शक के बीच।